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Complete Rudra Abhishekh

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क्यों किया जाता है रुद्राभिषेक?

रुद्र अर्थात भूतभावन शिव का अभिषेक। शिव और रुद्र परस्पर एक-दूसरे के पर्यायवाची हैं। … रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारी कुंडली से पातक कर्म एवं महापातक भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं।
शास्त्रों के अनुसार सावन में रुद्राभिषेक करना और भी शुभ व लाभकारी होता है। भगवान शिव के रुद्राभिषेक से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही, ग्रह जनित दोषों व रोगों से भी मुक्ति मिल जाती है। रुद्रहृदयोपनिषद के अनुसार सभी देवताओं की आत्मा में रूद्र मौजूद हैं और सभी देवता रूद्र की आत्मा हैं।
रुद्राभिषेक मुख्य रूप से मनुष्य अपने सभी दुखों से मुक्ति पाने के लिए करते हैं। रूद्र अवतार शिव का विधि पूर्वक अभिषेक करने से मनुष्यों को उसके सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। शास्त्रों में लिखा है “रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र:” यानि कि शिव सभी दुखों को हरकर उनका नाश कर देते हैं। ऐसी मान्यता है कि कुंडली में मौजूद महापातक या अशुभ दोष भी शिव जी का रुद्राभिषेक करने से दूर हो जाते हैं। रुद्राभिषेक कर शिव जी के द्वारा शुभ आशीर्वाद तथा मनवांछित फल प्राप्त किया जा सकता है। इसके द्वारा व्यक्ति कम समय में ही अपने सभी मनोकामनाओं की पूर्ती कर सकता है।

“सर्वदेवात्मको रुद्र: सर्वे देवा: शिवात्मका:।
रुद्रात्प्रवर्तते बीजं बीजयोनिर्जनार्दन:।
यो रुद्र: स स्वयं ब्रह्मा यो ब्रह्मा स हुताशन:।
ब्रह्मविष्णुमयो रुद्र अग्नीषोमात्मकं जगत्।।”

इसका अर्थ है कि सभी देवताओं में रूद्र समाहित हैं और सभी देवता रूद्र का ही अवतार है। ब्रह्मा, विष्णु और महेश सभी रूद्र के ही अंश हैं। इसलिए रुद्राभिषेक के द्वारा ऐसा भी माना जाता है की सभी देवताओं की पूजा अर्चना एक साथ हो जाती है। हिन्दू धार्मिक मान्यतों के अनुसार मात्र रूद्र अवतार शिव का अभिषेक करके व्यक्ति सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। केवल रुद्राभिषेक के द्वारा शिव जी के साथ-साथ अन्य देवगणों की पूजा भी सिद्ध हो जाती है। रुद्राभिषेक के दौरान मनुष्य अपनी विभिन्न कामनाओं की पूर्ति के लिए भिन्न प्रकार के द्रव्यों का प्रयोग करते हैं।